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Natyashastra (Hindi)

Bharat Gupt
Last Update September 30, 2023
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Natyashastra (Hindi)

About This Course

पाठ्यक्रम परिचय

नाट्यशास्त्रमिदं रम्यं मृगवक्त्रं जटाधरम् ।

अक्षसूत्रं त्रिशूलं च विभ्रार्णाच त्रिलोचनम् ।

परंपरा के अनुसार नाट्यशास्त्र के प्रणेता ब्रह्मा  माने गए हैं और इसे ‘नाट्यवेद’ कहकर नाट्यकला को विशिष्ट सम्मान प्रदान किया गया है। यह न सिर्फ नाट्य संबंधी नियमों की संहिता का नाम  है बल्कि विविध मनोविज्ञान समेटे हुए है ।यह ग्रन्थ सम्पूर्ण विश्व में नाटक, नृत्यकला, संगीतकला, मंचकला तथा ललित कलाओं को समझाने के लिए अतिशय महत्वपूर्ण ग्रंथ है। नाट्यशास्त्र का रचनाकाल, निर्माणशैली तथा बहिःसाक्ष्य के आधार पर ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के लगभग स्थिर किया गया  है जबकि कुछ विद्वान् इसे 5वी शताब्दी ईसा पूर्व का मानते हैं इसका मूलग्रन्थ भी नाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है जिसके रचयिता भरत मुनि थे। जिनका जीवनकाल 400-100 ईसापूर्व के मध्य निर्धारित किया  जाता है।संगीत, नाटक और अभिनय के सम्पूर्ण ग्रंथ के रूप में भरतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। भरत मुनि मानते थे कि  नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता, रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। 36 अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच, अभिनेता, अभिनय, नृत्यगीतवाद्य, दर्शक, दशरूपक और रस निष्पत्ति से सम्बन्धित सभी तथ्यों का विस्तृत  विवेचन किया है।नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है।भारतीय शास्त्रीय नृत्य, नाट्यशास्त्र से प्रेरित हैं ।

प्रस्तुत पाठ्यक्रम में  नाट्यशास्त्र अत्यंत रोचक रूप से समझाने के लिए इसको पंद्रह सरल  भागो तथा लगभग   में विभाजित करके उसके विभिन्न पक्षों को स्पष्ट ढंग से व्याख्यायित किया गया है ।

पाठ्यक्रम से आप क्या सीखेंगे

  • नाट्यशास्त्र का उद्भव और विकास
  • नाट्यशास्त्र के विभिन्न अध्यायों के विषय जैसे-नाटक के प्रकार, प्राचीन भारतीय नाट्यशाला, नाटक के तत्व, नाट्यशास्त्र में वर्णित नाट्यकरण, नाट्यशास्त्र की तिथि, मंचन से पूर्व का अभिनय, रस का अतिमहत्वपूर्ण सिद्धांत, विभिन्न भाव मुद्रायें, शास्त्रीय तथा आधुनिक विभिन्न भाष्यकारों के भाष्य ।
  • नाट्यशास्त्र तथा इसकी परम्परा क्यों विशिष्ट है। आप इसमें विभिन्न प्रकार के नाट्य मंचन के साथ-साथ प्राचीन भारत की नाट्यशालाओं के बारे में भी सिखेंगे ।
  • नट कौन है, अभिनय क्या है तथा नाट्य मंचन के अभिनय का उद्देश्य क्या है! इसमें आप यूरोपीय नाटकों तथा भारतीय नाटकों के बीच समानता तथा विभेद के तत्वों को भी जान पायेंगे ।
  • नाट्यशास्त्र में वर्णित 108 करणों के बारे में जानेंगे। नाट्यशास्त्र ने करणों के वर्णन के माध्यम से विभिन्न भारतीय कलाओं जैसे मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्यकला इत्यादि को प्रभावित किया है ।
  • वास्तविक मंचन से पहले किये जाने वाले अभिनय को पूर्वरंग कहते हैं जिसके विभिन्न चरण हैं, इसे भी आप जानेंगे। रस सिद्धांत जो कि सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्राचीन भारतीय कलाओं तथा सौंदर्यशास्त्र का एक ऐसा सिद्धांत है जिसने भारतीय कलाओं को परिभाषित किया तथा उत्कृष्ट दिशा प्रदान की ।
  • आप यह भी जान सकेंगे कि विभिन्न भाष्यकार नाट्य के बारे में क्या कहते हैं तथा धार्मिक मूल्यों के आधार पर भिन्न-भिन्न कलायें कैसे परिभाषित की जाती थीं ।

इस पाठ्यक्रम से आपको क्या मिलेगा

  • संदर्भ सामग्री जैसे लेख, ऑनलाइन चर्चा और पुस्तकों और वीडियो के लिंक ।
  • इंडस विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र |
  • मेधावी छात्रों को भारतीय ज्ञान परंपरा (sponsored by Ministry of Education) परियोजनाओं पर काम करने का अवसर ।

प्रतिभुगतान नीति: यह कोर्स पहले ही न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध कराया गया है इसलिए इसमें पंजीकृत छात्रों या जिज्ञासु जनों के लिए उनके द्वारा भुगतान किए गए शुल्क की कोई वापसी संभव नहीं है इसलिए शुल्क भुगतान करने से पूर्व भलीभांति समझ कर ही पंजीकरण करें ।

Curriculum

79 Lessons

अध्याय 1 – नाट्यशास्त्र – एक परिचय

1.1 – मंगलाचरण
1.2 – नाटक और नाट्य
1.3 – नाट्यशास्त्र: पंचम वेद
1.4 – नट और नाट्य
1.5 – नाट्य और शास्त्र
1.6 – नाट्य की उत्पत्ति
1.7 – नाट्यशास्त्र और नाट्यवेद
1.8 – नाट्यशास्त्र के अंग
Quiz 1: Natyashastra (Hindi)

अध्याय 2: नाट्य का प्रयोजन

अध्याय 3: नाट्य की प्रस्तुति

अध्याय 4: नाट्यशास्त्र की रचना और काल

अध्याय 5: मंच और अभिनय

अध्याय 6: करण और पूर्वरंग

अध्याय 7: रस और भाव

अध्याय 8: रस निष्पत्ति

अध्याय 9: चार आचार्य

अध्याय 10: रस और भाव

अध्याय 11 – नाट्यशास्त्र और भाषा

अध्याय 12: नाट्य के अवयव – १

अध्याय 13: नाट्य के अवयव – २

अध्याय 14: नाट्य के अवयव – ३

अध्याय 15: नाट्य के अवयव – ४

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